आजकल, निल शुक्राणु संख्या (Azoospermia) एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। निल शुक्राणु संख्या वह स्थिति है जब पुरुष के वीर्य में शुक्राणु नहीं होते। यह समस्या पुरुषों में बांझपन का मुख्य कारण हो सकती है।
कारण
निल शुक्राणु संख्या के कई कारण हो सकते हैं:
जेनेटिक समस्याएं: कुछ पुरुषों में जन्म से ही जेनेटिक विकार होते हैं जिससे शुक्राणु उत्पादन में समस्या आती है।
हार्मोनल असंतुलन: हार्मोनल असंतुलन से भी शुक्राणु उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
अवरोध: शुक्राणु वाहिनी में किसी प्रकार का अवरोध होने से शुक्राणु वीर्य में नहीं पहुंच पाते।
संक्रमण: जननांगों में संक्रमण होने पर शुक्राणु उत्पादन में कमी आ सकती है।
चिकित्सा उपचार: कैंसर के इलाज में उपयोग होने वाली कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी से भी शुक्राणु उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
लक्षण
निल शुक्राणु संख्या के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:
बांझपन: लगातार प्रयासों के बावजूद भी पत्नी का गर्भधारण न कर पाना।
सेक्सुअल समस्याएं: सेक्स में रुचि की कमी, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, या अन्य सेक्सुअल समस्याएं।
टेस्टोस्टेरोन का निम्न स्तर, जो मूड स्विंग्स, थकान, और बालों का झड़ना उत्पन्न कर सकता है।
उपचार
निल शुक्राणु संख्या का उपचार इसके कारणों पर निर्भर करता है।
हार्मोनल थैरेपी: हार्मोनल असंतुलन के मामलों में हार्मोनल थैरेपी उपयोगी हो सकती है।
सर्जरी: अवरोध के मामलों में सर्जरी द्वारा अवरोध हटाया जा सकता है।
IVF और ICSI: इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) और इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) जैसे सहायक प्रजनन तकनीकें मददगार हो सकती हैं।
जीवनशैली में बदलाव: स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और धूम्रपान व शराब से परहेज करने से भी शुक्राणु उत्पादन में सुधार हो सकता है।
निष्कर्ष
निल शुक्राणु संख्या एक गंभीर लेकिन उपचार योग्य स्थिति है। सही समय पर जांच और उपचार से पुरुषों को बांझपन की समस्या से निजात मिल सकती है। इसलिए, अगर कोई भी लक्षण महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। Call:- +919780044159